अभिषेक के जरिये तृणमूल ने लोकसभा चुनाव की लड़ाई छेड़ी, बीजेपी भी काट में उतरी

07/10/2023,7:49:26 PM.

कोलकाताः  हालांकि अभी लोकसभा चुनाव में छह महीने से भी अधिक का समय है, लेकिन इस चुनाव को लेकर पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस ने मैदान में उतर कर अपनी लड़ाई शुरू कर दी है। यह लड़ाई तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो और मुख्यमंत्री  ममता बनर्जी की तरफ से शुरू नहीं की गई है,  बल्कि उनकी शह पर उनके भतीजे और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी द्वारा शुरू की गई है। अभिषेक ने मनरेगा फंड के मुद्दे पर सोमवार को जो लड़ाई देश की राजधानी दिल्ली के राजघाट से शुरू की थी, वह अब कोलकाता के राजभवन के समक्ष लड़ी जा रही है। यहां अभिषेक ने गुरुवार को अपना धरना शुरू किया था जो अब भी चल रहा है। और यह पता नहीं कि कब तक चलेगा। दरअसल तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व अभिषेक बनर्जी द्वारा शुरू इस धरना के माध्यम से राज्य के लोगों को यह संदेश देना चाहती है कि केंद्र सरकार उनके हक को मार रही है, और तृणमूल कांग्रेस उनके हक पाने के लिए लड़ाई लड़ रही है। तृणमूल कांग्रेस यह चाहेगी कि अभिषेक का यह धरना ज्यादा से ज्यादा दिन तक चले।

लेकिन अब भारतीय जनता पार्टी ने अभिषेक के आंदोलन के मकसद को समझते हुए ना सिर्फ  पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को सक्रिय कर दिया है, बल्कि शनिवार को केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति भी कोलकाता पहुंच गयीं। गौर करने की बात है कि पिछले सोमवार को अभिषेक बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल नेता दिल्ली में साध्वी निरंजन ज्योति से मिलने गये थे लेकिन जब वह नहीं मिलीं तो उनके दफ्तर में धरना पर बैठ गये थे। तृणमूल कांग्रेस ने तब कहा था कि केंद्रीय मंत्री समय देकर भी नहीं मिल रही हैं, वह डरी हुई हैं। लेकिन शनिवार को कोलकाता पहुंची केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वह डरने वाली नहीं हैं बल्कि वह तो झांसी की रानी के प्रदेश की हैं। तृणमूल नेता जहां चाहें उनसे मिल सकते हैं। वहीं तृणमूल के आंदोलन की धार को कम करने के लिए बीजेपी के वरिष्ठ नेता शुभेंदु अधिकारी ने अब घोषणा कर दी है कि दुर्गापूजा बाद वे एक लाख लोगों को लेकर कोलकाता में आंदोलन  करेंगे जिन्हें केंद्रीय योजनाओं का लाभ नहीं मिला है।

इधर सांसद कल्याण बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस का एक प्रतिनिधि मंडल राज्यपाल सीवी आनंद बोस से मिलने सिलीगुड़ी गया हैं। दरअसल गुरुवार को अभिषेक बनर्जी  ने राज्यपाल से मिलकर मनरेगा मजदूरों की चिट्ठियां सौंपने के लिए ही जुलूस का नेतृत्व किया था, लेकिन उस दिन राज्यपाल सिलीगुड़ी में थे। राज्यपाल के नहीं मिलने पर ही अभिषेक यह कहते हुए धरना पर बैठ गये थे कि जब तक राज्यपाल नहीं मिलते हैं, तबतक उनका धरना चलता रहेगा। इसके  बाद राज्यपाल ने तृणमूल नेताओं को सिलीगुड़ी में आकर मिलने को कहा था। बहरहाल मनरेगा राशि देने के नाम पर तृणमूल कांग्रेस ने अगले लोकसभा चुनाव की लड़ाई का बिगुल फूंक दिया है, अब देखना है कि यह लड़ाई आगे किस तरह और किस रूप में लड़ी जाती है।

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