कोविड के कारण नियमों में बदलाव के साथ बेलूर मठ में कुमारी पूजा शुरू

24/10/2020,10:53:31 AM.

 

कोलकाता:  बेलूर स्थित रामकृष्ण मठ में महाअष्टमी की सुबह विधिवत कुमारी पूजा आयोजित की गई। इस दिन सुबह मठ में सबसे पहले महाअष्टमी की पूजा हुई, फिर कुमारी पूजा का शुभारंभ हुआ। हालांकि इस बार कोविड की स्थिति में बेलूर मठ की कुमारी पूजा स्थल तक सामान्य भक्तों के जाने पर मनाही थी। इस बार रामकृष्ण मंदिर के पश्चिम की ओर कुमारी पूजा का आयोजन किया गया। कोरोना के कारण पूजा की प्रक्रिया में आंशिक तौर पर बदलाव किए गए थे। कुमारी को एक देवी के रूप में पूजा जाता है।

स्वामी विवेकानंद ने 1901 में बेलूर मठ में कुमारी पूजा शुरू की थी। उस परंपरा के अनुसार बेलूर मठ में कुमारी की पूजा महाअष्टमी के दिन देवी के रूप में की जाती है। संन्यासियों के अनुसार कुमारी लड़कियां दुनिया की नकारात्मक शक्तियों से दूर रहती हैं। इस दरम्यान ही उनमें मातृत्व की भावना सृजित होती हैं।

केवल 1 से 16 वर्ष की आयु की लड़कियों को कुमारी के रूप में पूजा जाता है। देवी कुमारी दुर्गा का एक रूप हैं। इस पूज के अवसर पर कुंवारी लड़कियों को फूलों और आभूषणों से सुसज्जित किया जाता है। कुमारी की पूजा उसी तरीके से की जाती है जिस तरीके से मां दुर्गा की पूजा की जाती है। देवी दुर्गा को चढ़ाया गया प्रसाद भी कन्याओं के चरणों में चढ़ाया जाता है। पवित्र मंत्र का पाठ किया जाता है और कुमारी की पूजा, आरती की जाती है। भक्त व संन्यासी फूलों के साथ कुमारी को श्रद्धांजलि देते हैं।

मठ के प्रमुख स्वामी स्मरणानंदजी महाराज सहित वरिष्ठ संन्यासी इस अवसर पर पूजा स्थल पर उपस्थित थे। इस बार कोविड की स्थिति के कारण कुमारी को कुछ संयमित नियमों के अनुसार पूजा गया। उल्लेखनीय है कि इस बार मठ में कुमारी आद्रिजा मुखर्जी को कुमारी के रूप में चुना गया है।

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