24/05/2021,9:20:23 PM.
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नई दिल्ली। सशस्त्र बलों ने 26 मई को पूर्वी तट से टकराने वाले चक्रवात ‘यास’ से मुकाबला करने की तैयारी पूरी कर ली है। दोनों सेनाओं ने अपने-अपने विमानों और जहाजों के साथ बचाव एवं राहत दलों को भी तैनात किया है। वायुसेना ने एनडीआरएफ की टीमों को एयरलिफ्ट करके चक्रवात से प्रभावित होने वाले संभावित तटीय क्षेत्रों में पहुंचा दिया है। नौसेना ने चक्रवात ताउते के समय पश्चिमी तट पर तैनात की गईं टीमों को पूर्वी तटों पर स्थानांतरित कर दिया है। भारतीय सेना ने भी आठ बाढ़ राहत टुकड़ियों और इंजीनियर टास्क फोर्स की तीन टीमों को तैयार रखा है।
राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) के महानिदेशक एसएन प्रधान के मुताबिक एनडीआरएफ ने बचाव अभियान के लिए कुल 75 टीमों को लगाया है। इनमें से 59 को जमीन पर तैनात किया जाएगा और 16 को स्टैंडबाय पर रखा जाएगा। भारतीय वायुसेना के 15 परिवहन विमानों ने जामनगर, वाराणसी, पटना और अरकोनम (तमिलनाडु) से एनडीआरएफ के 950 कर्मियों और उनके 70 टन भार को एयरलिफ्ट करके कोलकाता, भुवनेश्वर और पोर्ट ब्लेयर तक पहुंचा दिया है। इसके अलावा सोलह परिवहन विमान और 26 हेलीकॉप्टर तत्काल तैनाती के लिए तैयार हैं। वायुसेना ने अपने परिवहन विमानों एक सी-17 ग्लोबमास्टर, 03 सी-130 और 02 एएन-32 के जरिये जामनगर (गुजरात) से एनडीआरएफ के जवानों और उनके सामान को भुवनेश्वर और कोलकाता तक पहुंचाया है। इसके अलावा 03 सी-130 और एक आईएल-76 विमानों के जरिये जामनगर से ही भुवनेश्वर और कोलकाता तक एनडीआरएफ कर्मियों को एयरलिफ्ट किया है।
इसी तरह नौसेना ने मानवीय सहायता और आपदा राहत के लिए 10 एचएडीआर पैलेट को पश्चिमी तट से भुवनेश्वर और कोलकाता में स्थानांतरित कर दिया है, जबकि पोर्ट ब्लेयर में पांच एचएडीआर पैलेट तैयार हैं। पूर्वी नौसेना कमान और अंडमान-निकोबार कमान के आठ जहाजों को चक्रवात से प्रभावित होने की संभावना वाले इलाकों में लोगों को सहायता प्रदान करने के लिए तैनात किया गया है। नागरिक प्रशासन को अल्प सूचना पर सहायता प्रदान करने के लिए कोलकाता, भुवनेश्वर और चिल्का में चार गोताखोरी टीमें और 10 बाढ़ राहत कॉलम पहले से तैनात किए गए हैं। किसी भी स्थिति से निपटने के लिए सात बाढ़ राहत दल और दो गोताखोर दल अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के विभिन्न स्थानों पर तैयार हैं। इसके अलावा विशाखापत्तनम और पोर्ट ब्लेयर में नौसेना के विमान और हेलीकॉप्टर खोज एवं बचाव मिशन शुरू करने के लिए तैयार हैं।
भारतीय सेना की ओडिशा में दो बाढ़ राहत टुकड़ियां एवं दो इंजीनियर टास्क फोर्स और पश्चिम बंगाल में आठ बाढ़ राहत टुकड़ियां एवं एक इंजीनियर टास्क फोर्स बचाव और राहत कार्यों के लिए तैयार हैं। यह टीमें नागरिक प्रशासन की आवश्यकता पर तत्काल सहायता पहुंचाएंगी। सशस्त्र बल प्रभावित राज्यों के नागरिक प्रशासन के लगातार संपर्क में हैं। चूंकि सशस्त्र बलों की टीमें पहले से ही कोविड-19 अस्पतालों में इलाज के लिए आवश्यक जीवन रक्षक ऑक्सीजन और दवाओं की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए लगी हैं, इसलिए सड़क और रेल मार्ग को खुला रखने की आवश्यकता से अवगत हैं। यही वजह है कि सशस्त्र बल आने वाले चक्रवात के प्रभाव को कम करने, जीवन बचाने और नागरिकों को सहायता प्रदान करने के लिए तैयार हैं।
भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) ने सभी पूर्वी तटों पर अपने जलपोत और विमानन इकाइयों को हाई अलर्ट पर रखा है।आईसीजी ने बंगाल की खाड़ी के गहरे पानी के साथ-साथ तमिलनाडु, पुडुचेरी, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के तट पर औसतन 16 जहाजों और तीन विमानों को प्रतिदिन तैनात किया है। आईसीजी रिमोट ऑपरेटिंग स्टेशन नाविकों और मछुआरों के लिए एमएमबी रेडियो पर स्थानीय भाषाओं में मौसम संबंधी चेतावनी संदेश प्रसारित कर रहे हैं। क्षेत्र के भीतर आने-जाने वाले जहाजों को सतर्क करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा नेट (आईएसएन) को सक्रिय कर दिया गया है। लंगरगाह के जहाजों को भी आवश्यक सुरक्षा उपायों के लिए आश्रय और सिंगल प्वाइंट मूरिंग (एसपीएम) ऑपरेटरों को लेने की सलाह दी गई है।
इसके अलावा 31 तटरक्षक आपदा राहत दल (डीआरटी) हवा से फुलाने वाली नावों, लाइफबॉय और लाइफजैकेट के साथ स्टैंडबाय पर हैं। चिकित्सा टीमों और एम्बुलेंस को भी तेजी से जुटाने के लिए तैयार रखा गया है। तटरक्षक बल ने समुद्र में मौजूद 254 नावों की सुरक्षित वापसी की है और अब तक विभिन्न व्यापारिक जहाजों और लंगर में 77 जहाजों को सतर्क कर दिया है। बंदरगाह प्राधिकरणों, तेल रिग ऑपरेटरों, नौवहन, मत्स्य अधिकारियों और मछुआरा संघों को भी आने वाले चक्रवात के बारे में जानकारी दी गई है ताकि किसी भी नुकसान से बचने के लिए पहले से उपाय किए जा सकें।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय महापात्र का कहना है कि आज बालासोर और दीघा से लगभग 700 किमी दूर पूर्व-मध्य बंगाल की खाड़ी पर कम दबाव का क्षेत्र एक दबाव में केंद्रित हो गया है। इसके उत्तर और उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ने और 24 मई की सुबह तक एक चक्रवाती तूफान में तेज होने की उम्मीद है। यह 26 मई को बहुत ही भीषण चक्रवाती तूफान में बदल जाएगा। यह तूफ़ान पारादीप और सागर द्वीप के बीच 185 किमी. प्रति घंटे की रफ्तार से हवा के साथ उत्तरी ओडिशा और पश्चिम बंगाल के तट को पार करेगा। इसके कारण 25 मई को ओडिशा और 26 मई को झारखंड, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और सिक्किम में जबरदस्त बारिश होने की संभावना है। चक्रवात ‘यास’ के मद्देनजर मछुआरों को इस दौरान दक्षिण-पूर्व और पूर्व-मध्य बंगाल की खाड़ी, अंडमान सागर, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में न जाने की सलाह दी गई है।
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