05/12/2020,9:06:23 PM.
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नई दिल्ली (एजेंसी)। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शनिवार को बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 दिसम्बर गुरुवार को संसद भवन की नई इमारत के लिए भूमि कर शिलान्यास करेंगे। इसकी ऊंचाई वर्तमान संसद भवन जितनी ही होगी।
लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने अपने आवास पर प्रेस वार्ता कर आशा व्यक्त की कि देश की आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर संसद का सत्र नई इमारत में बुलाया जाएगा। इस इमारत में भारत की सांस्कृतिक विविधता की झलक देखने को मिलेगी।
उन्होंने बताया कि नई इमारत 64,500 स्क्वेयर मीटर के क्षेत्र में फैली होगी और इसके निर्माण में 971 करोड़ रुपये खर्च होंगे। यह पिछली संसद इमारत से 17 हजार स्क्वेयर मीटर बड़ी होगी।
उन्होंने बताया कि नया संसद भवन अगले सौ साल की ज़रूरतों को ध्यान में रख कर बनाया जा रहा है। टाटा प्रोजेक्ट लिमिटेड को इसके निर्माण का ठेका दिया गया है। इसकी रूपरेखा एचसीपी डिज़ाइन प्लानिंग एंड मैनेजमेंट ने तैयार की है। उन्होंने कहा कि इस इमारत में एक साथ 1,224 सांसद बैठ सकते हैं। श्रम शक्ति भवन के स्थान पर दोनों सदनों के सांसदों के लिए ऑफिस काम्पलेक्स तैयार किया जाएगा।
बिरला ने कहा, “मौजूदा श्रमशक्ति भवन के स्थान पर हर सांसद के लिए 40 वर्ग मीटर का कार्यालय उपलब्ध कराया जाएगा। यह कार्यालय भूमिगत रास्ते से नए संसद भवन से जुड़ा होगा।”
बिरला ने बताया कि इस कार्यक्रम के लिए सभी राजनीतिक दलों को निमंत्रण भेजा गया है। कुछ इसमें प्रत्यक्ष शामिल होंगे और कुछ वर्चुअल माध्यम से शामिल होंगे। भूमि पूजन कार्यक्रम में कोरोना संबंधित सभी दिशा-निर्देशों का पालन किया जाएगा।
नई इमारत में एक बड़ा कॉन्स्टिट्यूशन हॉल होगा, जिसमें भारत की लोकतांत्रिक विरासत को प्रदर्शित की जाएगी। इसके अलावा इसमें सांसदों के लिए लाउंज, पुस्तकालय और विभिन्न समितियों के कमरे, भोजन स्थल और पार्किंग की व्यवस्था होगी। नए संसद भवन में अभी से ज्यादा समिति रूम और पार्टी ऑफिस होंगे।
नई इमारत में सांसदों की संख्या में इजाफे की संभावना को देखते हुए बैठने की व्यवस्था की गई है। लोकसभा में 888 सदस्य और राज्यसभा में 384 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था होगी। वर्तमान में लोकसभा में 543 और राज्यसभा में 245 सांसदों के बैठने की व्यवस्था है।
उन्होंने कहा, “मौजूदा संसद भवन हमारी विरासत है वहीं पर हमारा संविधान रचा गया। आजादी की लड़ाई लड़ने वाले नेताओं ने यहीं बैठ कर संविधान को अंतिम रूप दिया था। यह भावी पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी।”
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