10/07/2020,7:34:06 PM.
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कोलकाता (एजेंसी)। भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य मुकुल रॉय ने शुक्रवार को “ममता बंगाल के लिए लज्जा अभियान के तहत मुख्यमंत्री ममता बनर्जी” पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि ममता बनर्जी की सरकार नागरिक सुविधाओं के मामले में हर मोर्चे पर फेल है जबकि अपराध और भ्रष्टाचार के मामले में टॉप पर है।
उन्होंने शुक्रवार को ममता सरकार का रिपोर्ट कार्ड पेश करते हुए कहा कि सिंडिकेट, भ्रष्टाचार व राजनीतिक हिंसा में ममता सरकार पास है। वहीं स्वास्थ्य, महिला सुरक्षा, शिक्षा, उद्योग, विकास के मामले में पूरी तरह यह सरकार फेल है। उन्होंने यहां तक कहा कि ममता बंगाल के लिए लज्जा हैं। उधर, बंगाल के बालूरघाट से भाजपा सांसद सुकांतो मजूमदार ने भी ट्वीट करके ममता सरकार पर यही आरोप लगाया।
ममता बनर्जी हर मामले में कर रहीं राजनीतिः राहुल सिन्हा
जपा के राष्ट्रीय सचिव राहुल सिन्हा ने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी की सरकार अम्फन चक्रवाती तूफान के बाद राहत सामग्री वितरण, कोरोना महामारी और राशन वितरण में हर जगह राजनीति कर रही हैं। सिन्हा ने शुक्रवार को पार्टी कार्यालय में आयोजित पत्रकार सम्मेलन में कहा कि सर्वदलीय बैठक में मुख्यमंत्री ने मुआवजा मिले अम्फन प्रभावितों की कोई सूची जारी करने की बात कही थी, लेकिन अभी तक वह सूची नहीं जारी की गयी है। मुख्यमंत्री खुद स्वीकार कर रही हैं कि मुआवजा वितरण में भ्रष्टाचार हुआ है।
उन्होंने कहा कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच करायी जाये, ताकि सच सामने आ सके। उन्होंने कहा कि कोरोना आंकड़ा में भी हेरफेर किया गया है। गलत आंकड़े दिये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब मुख्यमंत्री कार्यालय बीडीओ व एसडीओ स्तर के अधिकारियों की कांफेडेंसिल रिपोर्ट लिखना लगा है। इससे प्रशासनिक व्यवस्था का पूरी तरह से राजनीतिकरण हो गया है। मुख्यमंत्री एक राजनीतिक व्यक्ति भी होता है। कोई राजनीतिक व्यक्ति यह रिपोर्ट लिख ही नहीं सकता है। नवान्न का राजनीतिकरण कर दिया गया है। भाजपा इसका विरोध करती है और इसके खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटायेगी। उन्होंने कहा कि राज्य में लॉक डाउन की घोषणा हुई है, लेकिन वाममोर्चा व तृणमूल कांग्रेस के नेता मीटिंग कर रहे हैं। भाजपा वर्चुअल सभा भी कर रही है, तो उस पर आपत्ति जतायी जाती है। सिन्हा ने आरोप लगाया कि कंटेनमेंट जोन (जोखिम क्षेत्र) से साफ है कि इसमें अल्संख्यक बहुल इलाकों को शामिल नहीं किया गया है। यह आश्चर्य की बात है कि कोलकाता की लिस्ट में अल्पसंख्यक बहुल इलाके नहीं हैं और न ही वहां मास्क पहना जाता है और न ही सोशल डिस्टैंसिंग का पालन किया जाता है, लेकिन पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करती है।
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