31/08/2020,4:52:11 PM.
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कोलकाताहिंदी.कॉम
कोलकाताः कोराना संकट के बीच बिहार चुनाव समय पर होने जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने भी बिहार चुनाव टालने की फरियाद को खारिज कर दिया है। इससे यह तय हो गया है कि आगामी साल गर्मियों में पश्चिम बंगाल में भी तय समय पर चुनाव होगा। इसे देखते हुए भाजपा ने सत्ताधारी दल तृणमूल कांग्रेस को जनता के बीच घेरने की तैयारी शुरू कर दी है।
दरअसल कोरोना संकट शुरू होने से पहले ही भाजपा ने राज्य में चुनावी तैयारियां शुरू कर दी थीं लेकिन देश में मार्च के अंतिम सप्ताह में लागू लॉकडाउन की वजह से यह तैयारी शिथिल पड़ गई थी। किंतु अब फिर से भाजपा ने अपनी योजना पर काम करना शुरू कर दिया है। भाजपा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी पार्टी तृणमूल को खासकर राज्य की कानून व्यवस्था में लगातार गिरावट, कोरोना समस्या से निपटने में नाकामी, चक्रवाती तूफान अंफन को नहीं संभाल पाने और इसके पीड़ितों को मदद नहीं मिलने आदि मुद्दों को जोर-शोर से राज्य की जनता के बीच जाकर उठाने की योजना बना रही है। राज्य में रोजगार के अवसर नहीं बन पाने और निवेश नहीं आने को भी भाजपा मुद्दा बनाने जा रही है।
भाजपा के प्रदेश प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय अपने कई ट्वीट में खासकर राज्य में निवेश नहीं आने पर ममता बनर्जी की सरकार पर हमलावर रहे हैं। उन्होंने यह भी सवाल उठाया है कि जब राज्य में निवेश ही नहीं आ रहे हैं तो फिर विश्व वाणिज्य सम्मेलन के आयोजन की क्या जरूरत है। उन्होंने यह भी सवाल किया था कि इस तरह के सम्मेलन से कौन, कैसे उपकृत हो रहा है। ममता बनर्जी को इन सवालों का जवाब देना चाहिए।
उधर राज्य की समस्याओं पर हमेशा सवाल उठाकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को असहज बनाने वाले राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने अब तक राज्य में हुए विश्व वाणिज्य सम्मेलन को लेकर श्वेतपत्र जारी करने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि राज्य में अभी तक जितने भी विश्व वाणिज्य सम्मलेन हुए हैं, उनमें कुल 12.3 लाख करोड़ रुपये के निवेश का प्रस्ताव मिले थे। ये निवेश प्रस्ताव कितने जमीन पर उतरे हैं, किन-किन कंपनियों ने अभी तक निवेश किया है, इनकी जानकारी देते हुए राज्य सरकार को एक श्वेतपत्र प्रकाशित करना चाहिए।
कैलाश विजयवर्गीय और राज्यपाल जगदीप धनखड़ से एक कदम आगे बढ़कर भाजपा के राज्य महासचिव सायंतन बसु का दावा है कि अभी तक विश्व वाणिज्य सम्मेलन कराने में जितने रुपये खर्च हुए हैं, उससे भी कम राशि निवेश के तौर पर राज्य में आए हैं। ममता बनर्जी के 2011 में राज्य की सत्ता में आने के बाद से कोई उल्लेखनीय निवेश नहीं हुआ है। जबकि वाममोर्चा के लंबे शासन के दौरान सैकड़ों छोटी फैक्टिरयों से लेकर बड़े कारखाने बंद हुए थे। तृणमूल के आंदोलन के कारण ही टाटा को अपने नैनो कारखाने को गुजरात शिफ्ट करना पड़ा था। इससे पश्चिम बंगाल को लेकर बाहर नकारात्मक सोच बना है। उन्होंने कहा कि आखिर राज्य में निवेश क्यों नहीं आ रहा है, सवाल हम जनता के बीच जाकर उठायेंगे।
मालूम हो कि पिछले दिनों भाजपा ने यह साफ कर दिया कि राज्य में मुख्यमंत्री के लिए उनकी पार्टी की तरफ से कोई चेहरा नहीं होगा। विजयवर्गीय ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही ममता बनर्जी के खिलाफ पार्टी के प्रमुख हथियार होंगे। विजयवर्गीय की घोषणा का यह अर्थ निकाला गया कि बगाल में पार्टी नेताओं के बीच जारी रस्साकस्सी को कम करना और एकजुट रखना ही मकसद है ताकि चुनाव में पूरी ताकत से जाया जा सके।
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