27/11/2020,4:34:06 PM.
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कोलकाता: राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले ममता सरकार को बड़ा राजनीतिक झटका लगा है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के करीबी माने जाने वाले तृणमूल कांग्रेस के ताकतवर नेता शुभेंदु अधिकारी ने परिवहन मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। इससे एक दिन पहले उन्होंने हुगली रिवर ब्रिज कमीशन के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि मिली खबरों के अनुसार अभी तक उन्होंने पार्टी से इस्तीफा नहीं दिया है।
30 से 40 विधानसभा सीटों पर है अच्छी पकड़
गौर हो कि शुभेंदु ने ऐसे समय पर हुगली रिवर ब्रिज कमीशन के चेयरमैन पद और मंत्री पद से इस्तीफा दिया है, जब उनके पार्टी बदलने को लेकर अटकलों का बाजार बेहद गर्म है। जानकारों की माने तो ममता बनर्जी के सबसे करीबी माने जाने वाले तृणमूल कांग्रेस के नेता शुभेंदु अधिकारी राज्य के करीब 30 से 40 विधानसभा सीटों पर अच्छी राजनीतिक पकड़ रखते हैं।
बीते किछ दिनों से पूर्वी मिदनापुर जिले से आने वाले शुभेंदु अधिकारी अपनी पार्टी से नाराज चल रहे हैं। ऐसे में अटकलें तेज है कि वह पार्टी का साथ छोड़कर भाजपा में भी शामिल हो सकते हैं। फिलहाल शुभेंदु ने अपना सियासी पत्ता नहीं खोला है, हालांकि उन्होंने लगातार दो पदों से इस्तीफा देकर यह साफ संकेत दे दिया है कि वह अब पार्टी में टिकने वाले नहीं हैं।
नंदीग्राम में रैली के बाद सामने आई बगावत की तस्वीर
शुभेंदु अधिकारी की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से बगावत की तस्वीर उस वक्त सामने आई जब गुरुवार को परिवहन मंत्री शुभेंदी ने पूर्व मिदनापुर के नंदीग्राम में एक रैली को संबोधित किया, जहां आज से 13 साल पहले पार्टी कार्यकर्ता की हत्या कर दी गई थी। इसी की याद में हुए कार्यक्रम में नंदीग्राम में शुभेंदु ने सभा को संबोधित किया। इसी नंदीग्राम की घटना ने ममता बनर्जी को बंगाल की कुर्सी तक पहुंचाया था। उस रैली में शुभेंदु ने कहा था कि पत्रकार और राजनीतिक पर्यवेक्षक मेरे राजनीतिक कार्यक्रम की घोषणा करने के लिए मेरा इंतजार कर रहे हैं। वे मुझे उन बाधाओं के बारे में बात करते हुए सुनना चाहते हैं जो मैं झेल रहा हूं और जो रास्ता मैं लेने जा रहा हूं। मैं इस पवित्र मंच से अपने राजनीतिक कार्यक्रम की घोषणा नहीं करूंगा।
आखिर क्यों इतने खफा हैं शुभेंदु
गौर हो कि शुभेंदु अधिकारी बंगाल में काफी ताकतवर राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनका प्रभाव न सिर्फ उनके क्षेत्र पर है, बल्कि पूर्व मिदनापुर के अलावा आस-पास के जिलों में भी उनका राजनीतिक दबदबा कायम है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो शुभेंदु अधिकारी ममता बनर्जी के भतीजे और लोकसभा सांसद अभिषेक बनर्जी से नाराज चल रहे हैं। इसके अलावा जिस तरह से प्रशांत किशोर ने बंगाल में संगठनात्मक बदलाव किया है, उससे भी वह नाखुश हैं। सूत्रों के अनुसार शुभेंदु चाहते हैं कि पार्टी कुछ विधानसभा सीटों पर उनकी पसंद के उम्मीदवारों को मैदान में उतारे।
मजबूत राजनीतिक परिवार से है ताल्लुक
दो बार सांसद रह चुके शुभेंदु अधिकारी का परिवार राजनीतिक तौर पर काफी मजबूत रहा है। पूर्व मिदनापुर को कभी वामपंथ का गढ़ माना जाता था मगर शुभेंदु ने अपनी रणनीतिक कौशल से बीते कुछ समय में इसे तृणमूल कांग्रेस का किला बना दिया है। इस सूरत में यदि वह तृणमूल कांग्रेस छोड़ते हैं तो ममता बनर्जी को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है। यही वजह है कि पार्टी उन्हें मनाने में जुटी है। शुभेंदु अधिकारी के भाई दिब्येंदु तमलुक से लोकसभा सदस्य हैं, जबकि तीन भाई-बहनों में सबसे छोटे सौमेंदु कांथी नगर पालिका के अध्यक्ष हैं। उनके पिता सिसिर अधिकारी तृणमूल कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ लोकसभा सदस्य हैं, जो कांथी निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं।
पार्टी को मजबूत करने में अहम भूमिका
बताया जाता है कि न सिर्फ पूर्व मेदनीपुर जिला बल्कि मुर्शिदाबाद और मालदा में भी उन्होंने कांग्रेस को कमजोर करने और टीएमसी को मजबूत करने के लिए काम किया है। क्योंकि वह ग्रासरूट लेवल के नेता हैं, इसलिए बीते कुछ समय में उनकी स्वीकार्यता भी काफी बढ़ी है। उन्हें मेदिनीपुर, झारग्राम, पुरुलिया, बांकुरा और वीरभूम जिलों में तृणमूल की राजनीतिक जमीन मजबूत करने का भी श्रेय दिया जाता है। इस तरह से राजनीतिक पंडितों का मानना है कि शुभेंदु अगर तृणमूल कांग्रेस से अलग होते हैं तो पार्टी के लिए इसका राजनीतिक असर एकाधिक सीटों पर दिखेंगी।
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