बंगाल में दिलीप घोष नहीं होंगे सीएम पद के उम्मीदवार, बिना चेहरे के चुनाव लड़ेगी भाजपा

23/08/2020,8:34:17 PM.

कोलकाताहिंदी.कॉम

कोलकाताः पश्चिम बंगाल में 2021 में विधानसभा चुनाव होना है लेकिन भाजपा बिना मुख्यमंत्री के चेहरे का चुनाव लड़ेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही राज्य की मुख्यमंत्री और सत्ताधारी दल तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी के विरुद्ध मुख्य हथियार होंगे। भाजपा का यह फैसला प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष के लिए एक झटका है। घोष अब तक यह मान रहे हैं कि वह ही राज्य के अगले मुख्यमंत्री होंगे, अगर भाजपा सत्ता में आती है।

भाजपा के प्रदेश प्रभारी और केंद्रीय नेता कैलाश विजयवर्गीय ने पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के फैसले की जानकारी दी है। पश्चिम बंगाल में अगले विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी मुख्यमंत्री पद के लिए किसी नेता के नाम की घोषणा नहीं करेगी। बल्कि ममता बनर्जी और उनकी पार्टी की असफलताओं को हथियार बनाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही चुनाव की बागडोर संभालेंगे। एक तरह से बंगाल की जनता के लिए वही प्रमुख चेहरा होंगे। विजयवर्गीय ने कहा कि चुनाव के बाद विधायक दल की बैठक होगी, और उसके परामर्श के बाद केंद्रीय नेतृत्व मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान करेगा।

विजयवर्गीय ने कहा कि फिलहाल हमारा पहला फोकस विधानसभा की 294 सीटों में से 220-230 सीटें हासिल करना है। पार्टी का सारा जोर राज्य में पूर्ण बहुमत से अधिक सीटें हासिल करना है। उन्होंने कहा कि राज्य में चुनाव के लिए मुख्यमंत्री का चेहरा पेश करने से ज्यादा जरूरी राज्य की समस्याओं को उठा कर जनता तक लेना जाना जरूरी है।

मालूम हो कि भाजपा पश्चिम बंगाल में सत्ताधारी दल तृणमूल कांग्रेस को कड़ी चुनौती दे रही है। पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में उसने राज्य में 41 फीसदी वोट हासिल करते हुए 18 सीटें जीती थीं। जबकि तृणमूल कांग्रेस को 45 फीसदी वोट मिले थे। इस बड़े वोट शेयर से भाजपा नेताओं को अब यह लगने लगा है कि अगले चुनाव में वे तृणमूल को हरा सकते हैं। इसके बाद से भाजपा के बड़े-बड़े नेता राज्य में बीच-बीच में दौरा करते रहे हैं।

पार्टी सूत्रों का यह भी कहना है कि मुख्यमंत्री के उम्मीदवार के नाम का नहीं घोषणा करना सही फैसला है। क्योंकि अगर यह घोषणा होती है तो पार्टी में फूट हो सकती है और चुनाव के दौरान यह बड़ा नुकसानदायक हो सकता है। मालूम हो कि बंगाल में भाजपा में पिछले दिनों खास कर दिलीप घोष और मुकुल राय में मतभेद उभर कर आए थे। वहीं बाबुल सुप्रीयो जैसे नेता भी दिलीप घोष के खिलाफ बीच-बीच टिप्पणी करते रहते हैं। केंद्रीय नेतृत्व इसे देखते हुए ही पार्टी को एकजुट होकर चुनाव में जाने का फैसल किया है।

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