03/10/2020,11:28:26 AM.
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कोलकाताः राजनीतिक हत्याओं के लिए कुख्यात पश्चिम बंगाल में जैसे-जैसे विधानसभा का चुनाव करीब आता जा रहा है वैसे वैसे यहां हत्याओं का सिलसिला बढ़ता जा रहा है। पिछले कुछ दिनों के दौरान पूरे राज्य में 12 नेताओं को मौत के घाट उतार दिया गया है। यह सत्तारूढ़ पार्टी से लेकर भाजपा और अन्य दलों के नेता हैं।
विधानसभा चुनाव में आठ महीने बचे हैं। इससे पहले वहां हो रही राजनीतिक हिंसा ने लोगों के भीतर भयभीत कर दिया है। जो 12 राजनीतिक कार्यकर्ता मारे जा चुके हैं, उनमें भारतीय जनता पार्टी के छह, तृणमूल कांग्रेस के पांच और सोशल यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया का एक सदस्य शामिल है। इसके साथ ही 10 जून को एक विधायक और तीन भाजपा कार्यकर्ता फांसी से लटके हुए पाए गए थे। वहीं तृणमूल कार्यकर्ता गौतम दास की बर्धवान में पीट-पीट कर हत्या कर दी गई थी।
इस साल जून से सिंतबर की समयावधि में स्थानीय भाजपा और तृणमूल कार्यकर्ताओं के बीच राज्यभर में दो दर्जन स्थानों पर हिंसा हुई। 14 सितंबर को, भाजपा कार्यकर्ता संबरू बर्मन को कूचबिहार में उनके घर के पास सड़क पर पाया गया। इस दौरान उन्हें काफी चोट लगी थी। स्थानीय अस्पताल में ले जाने पर उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। पुलिस ने कहा कि यह एक ‘अप्राकृतिक मौत का मामला’ था। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विधानसभा चुनाव रक्तरंजित होने वाला है।
दरअसल पश्चिम बंगाल में हिंसा की संस्कृति रही है और जब भी चुनाव होते हैं तो कम से कम विपक्षी पार्टी के कई कार्यकर्ताओं की हत्या होनी आम बात रहती है। इस बार भी विधानसभा चुनाव के पहले जिस तरह से हत्याएं होने लगी हैं उससे इस आशंका को और बल मिल रहा है। इसके अलावा विधानसभा चुनाव से पहले नगर पालिका चुनाव भी होंगे (फाइल फोटो)।
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