15/10/2020,1:06:15 PM.
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बेगूसराय (एजेंसी)। बिहार विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया अपने शबाब पर है। बेगूसराय में द्वितीय चरण के तहत तीन नवम्बर को होने वाले चुनाव के लिए 16 अक्टूबर को नामांकन प्रक्रिया समाप्त हो जाएगी। इस बीच जिले की सातों विधानसभा सीटों पर मारामारी की हालत है। एनडीए और महागठबंधन के बीच होने वाले संभावित आमने-सामने की टक्कर को त्रिकोणीय बनाने के लिए लोजपा, रालोसपा और जाप ने कोई कसर नहीं छोड़ी है।
सबसे दिलचस्प मुकाबला समाजवादियों के गढ़ रहे चेरिया बरियारपुर में होने जा रहा है। यहां से दो पूर्व विधायक की पुत्रवधू चुनाव मैदान में हैं और जातीय गोलबंदी के अनुसार दोनों में आमने-सामने की टक्कर होगी। चेरिया बरियारपुर से एनडीए महागठबंधन ने एक बार फिर कुशवाहा समुदाय के पूर्व विधायक रहे सुखदेव महतो की पुत्रवधू और निवर्तमान विधायक मंजू वर्मा को चुनाव मैदान में उतारा है। जबकि महागठबंधन राजद ने इसी समुदाय से आने वाले पूर्व सांसद राजबंशी महतो को उतार दिया है। लेकिन इन दोनों प्रत्याशियों की घोषणा के बाद चिराग पासवान ने बहुत बड़ा गेम खेला और भूमिहार जाति से आने वाले पूर्व विधायक अनिल चौधरी की पुत्रवधू रेखा देवी को मैदान में उतार दिया है। रेखा देवी के मैदान में आने के बाद जदयू और राजद के बीच होने वाली टक्कर त्रिकोणीय हो गई है। हालांकि यहां जाप ने कुशवाहा समुदाय के ही डॉ. एस. कुमार और रालोसपा ने भूमिहार समुदाय के सुदर्शन सिंह को मैदान में उतार दिया है, ये दोनों भी वोट का रूख मोड़ेंगे। दो लाख 47 हजार चार मतदाता वाले चेरिया बरियारपुर विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक वोटर कुशवाहा समुदाय के हैं और उसके बाद संख्या भूमिहारों की है।
यहां लंबे समय से भूमिहार और कुशवाहा फैक्टर काम करता आया है। इसी दोनों वर्ग से विधायक चुने जाते रहे हैं। इस चुनाव में जदयू ने जब एक बार फिर मंजू वर्मा को टिकट दिया तो राजद ने पूर्व मंत्री रामजीवन सिंह के पुत्र राजीव रंजन पोलो को मैदान में उतारा। लेकिन यादव और कुशवाहा नेताओं ने इसका जबरदस्त विरोध किया। राजद को प्रत्याशी बदलना पड़ा और उसने किसी भी प्रकार के विवाद से बचते हुए राजनीतिक रूप से हाशिए पर चले गए कुशवाहा समुदाय के राजवंशी महतो को उतार दिया। जिसके बाद लगा कि यहां दो कुशवाहा के बीच आमने-सामने की टक्कर होगी।
लोजपा सुप्रीमो चिराग पासवान ने लंबा गेम खेला और स्वच्छ छवि के माने जाने वाले चर्चित विधायक अनिल चौधरी के पुत्रवधू को मैदान में उतारकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है। अब यहां पल-पल बदल रहे समीकरण के अनुसार राजवंशी महतों नेपथ्य में चले गए हैं और हर जगह दोनों पूर्व विधायक के पुत्रवधू की चर्चा हो रही है। सभी राजनीतिक विश्लेषक और विशेषज्ञ मान रहे हैं कि इन्हीं दोनों के बीच टक्कर होगी।
उल्लेखनीय है कि चेरिया बरियारपुर विधानसभा क्षेत्र राज्य में प्रथम विधानसभा चुनाव से ही समाजवादियों का गढ़ रहा है। 1952 में हुए प्रथम विधानसभा चुनाव में यहां से सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार रामनारायण चौधरी ने कांग्रेस के रामकिशोर सिंह को हराकर इसे समाजवादी पार्टी का गढ़ साबित कर दिया था। फिलहाल यहां का मुकाबला दिलचस्प हो चुका है। अब देखना यह है कि किस फैक्टर केेे तहत, कौन यहां से जीतकर विधानसभा पहुंचता है।
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