02/12/2020,1:05:01 PM.
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कोलकाता: नए साल के आगमन के साथ ही राज्य में चुनावी सरगर्मी तेज हो जाएंगी। हालांकि इसकी तैयारी तमाम राजनीतिक पार्टियां अभी से ही करने लगी हैं। एक ओर राज्य में सत्ता पाने की कोशिश में जुटी भाजपा ने आक्रामक हिंदुत्व को अपन मुद्दा बनाया है, वहीं इसके जवाब में सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस ‘बंगाली अस्मिता’ पर आगामी चुनाव लड़ने जा रही है।
पिछले कुछ दिनों से तृणमूल की ओर से ‘बंगाली बनाम बाहरी’ अभियान को पर जोर दिया जा रहा है। खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाजपा के नेताओं को बाहरी कहकर बंगाल की जनता को इनसे आगाह रहने की सलाह दे चुकी हैं।
जानकारों की माने तो इन्हीं बातों को देखते हुए तृणमूल ने चुनाव में ‘बंगाली अस्मिता’ को अपना मुख्य चुनावी मुद्दा बनाने का फैसला किया है। पार्टी के शीर्ष नेताओं के हिस्से का मानना है कि भगवा खेमे के आक्रामक राष्ट्रवाद और हिंदुत्व का मुकाबला क्षेत्रीय भावना के द्वारा ही किया जा सकता है।
पार्टी के वरिष्ठ नेता व सांसद सौगत राय की माने तो ‘अगले विधानसभा चुनाव के दौरान विकास के अलावा बंगाली अस्मिता हमारा मुख्य चुनावी मुद्दा होगा। बंगाली अस्मिता केवल बंगालियों के बारे में नहीं है इसमें सभी भूमि पुत्रों के लिए अपील है। इस विचारधारा के जरिए भाजपा द्वारा बाहर से लाए गए नेताओं को राज्य के लोगों पर थोपने के भगवा पार्टी के अभियान से मुकाबला करने में मदद मिलेगी।’ तृणमूल सूत्रों के मुताबिक महाराष्ट्र में शिवसेना की तरह ही तृणमूल कांग्रेस भी बंगाली संस्कृति और पहचान के रक्षक के तौर पर उभरना चाहती है।
एक तृणमूल नेता का कहना है कि राष्ट्रवाद का सहारा लेने वाली भाजपा ने भी साल 2007 में गुजरात चुनाव में ‘गुजराती अस्मिता’ की बात की थी। इसलिए अगर हम ऐसा करते हैं तो हमें लगता है कि किसी को इससे दिक्कत नहीं होनी चाहिए।’
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