30/11/2020,11:05:12 AM.
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कोलकाता: पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में महज 4 से 5 महीने बाकी रह गए हैं। उसके पहले भारतीय जनता पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से ही लंबी प्लानिंग कर ऐसी चाल चली है कि सीएम ममता बनर्जी फिलहाल राज्य की 100 से अधिक सीटों पर कमजोर पड़ चुकी हैं।
वैसे भी 2019 के लोकसभा चुनाव में राज्य के 42 में से 18 सीटों पर जीत दर्ज करने के बाद 125 से अधिक सीटों पर पार्टी पहले से ही मजबूत थी। इसके अलावा शुभेंदु अधिकारी जैसे बड़ा जनाधार रखने वाले नेता के ममता मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे देने के बाद उनके प्रभाव वाले 35 विधानसभा क्षेत्रों में भी पार्टी मजबूत होती जा रही है। इसके संकेत अभी से ही दिखने लगे हैं। पूर्व मेदिनीपुर के अधिकतर क्षेत्रों में तृणमूल कांग्रेस के दफ्तर पर भारतीय जनता पार्टी ने कब्जा कर लिया है और ताला लगाकर अपना झंडा बैनर पोस्टर लगा दिया है। साफ है कि इन क्षेत्रों में पार्टी मजबूत हो चली है।
निश्चित तौर पर इसका लाभ विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा को मिलेगा। इसका अंदाजा ममता बनर्जी को भी है। इसलिए आगामी 7 दिसम्बर को वह पूर्व मेदिनीपुर जाने वाली हैं जहां जिले के सभी शीर्ष नेताओं को बैठक के लिए बुलाया है। साफ है यहां की 35 सीटों पर भी वोट बैंक खिसकने का डर ममता को सता रहा है और किसी भी तरह से हालात को संभालने की कोशिश करेंगी। इसके बाद 9 दिसम्बर को वह नदिया जिले के ठाकुरनगर में जनसभा करने वाली हैं जहां बड़े पैमाने पर बांग्लादेश का शरणार्थी समुदाय “मतुआ” रहते हैं।
इस समुदाय के लोग राज्य की 70 विधानसभा सीटों पर चुनावी परिणाम तय करते हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में मतुआ समुदाय के शांतनु ठाकुर ने भाजपा के टिकट पर जीत दर्ज की है जिसके बाद से अंदाजा लगाया जा रहा है कि 2021 के विधानसभा चुनाव में भी इस समुदाय का अधिकतर मत भाजपा को ही मिलेगा। हालांकि 2016 के विधानसभा चुनाव में मतुआ समुदाय ममता बनर्जी के साथ था इसलिए इस बार भी उन्हें अपने साथ बनाए रखने के लिए ममता जी तोड़ कोशिश कर रही हैं। लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि जिन 70 सीटों पर इस समुदाय का दबदबा है उनमें से अधिकतर भाजपा के पाले में जाएंगे। कुल मिलाकर कहें तो शुभेंदु के प्रभाव वाले 35 विधानसभा सीटें और मतुआ प्रभाव वाले 70 विधानसभा सीटों में से कम से कम 90 सीटों पर भी अगर भाजपा को बढ़त मिलती है तो यह ममता को बड़ा झटका होगा।
इसके अलावा जिन संसदीय क्षेत्रों में पार्टी ने जीत दर्ज की है वहां भी अपना जनाधार और मजबूत कर चुकी है। इसी आंकड़े के आधार पर अंदाजा लगाया जा रहा है कि 2021 के विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी के हाथ से सत्ता खिसक सकती है। सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं को भी इसका एहसास है इसी वजह से टीएमसी के विधायक और मंत्री तक पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो रहे हैं।
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