07/10/2020,8:38:29 PM.
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कोलकाताः मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को डर है कि राज्य के जंगल वाले क्षेत्रों में आदिवासी समुदाय के बीच एक बार फिर माओवादी सक्रिय हो सकते हैं। बुधवार को जंगलमहल क्षेत्र में प्रशासनिक बैठक को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने इसकी आशंका जताई और पुलिसकर्मियों को माओवाद सक्रियता रोकने के लिए और अधिक सतर्क रहने की नसीहत भी दी।
मुख्यमंत्री का बयान ऐसे समय में आया है जब माओवादी नेता छत्रधर महतो की जेल से रिहाई के बाद उन्होंने अपनी पार्टी में अहम जिम्मेदारी दी है। इसे लेकर भाजपा लगातार ममता पर माओवाद को पुनः संरक्षण देने का आरोप लगा रही है। ममता ने कहा कि माओवादियों को पश्चिम बंगाल में वापसी करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने डीजीपी वीरेंद्र को नक्सलियों के मजबूत गावों के ग्रामीण और मुफस्सिल क्षेत्रों में संदिग्ध गतिविधियों, पर जानकारी को समेटने के लिए निगरानी का निर्देश दिया। कथित तौर पर भाकपा (माओवादियों) द्वारा जारी हस्तलिखित पोस्टर, पिछले महीने झाड़ग्राम के बेलपहाड़ी क्षेत्र में फिर से शुरू हो गए हैं।
भाजपा का बिना नाम लिए ममता ने कहा कि एक राजनीतिक दल से जुड़े कुछ लोगों ने कुछ दिनों पहले माओवादियों के साथ जंगलमहल का दौरा किया था। ममता ने कहा कि यह आपकी (पुलिस) जिम्मेदारी है कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि धन शक्ति का उपयोग करके कोई भी बंगाल में अशांति पैदा नहीं करे, पुलिस को अधिक सक्रिय होना होगा।
ममता ने कहा कि उनकी सरकार को उग्रवाद को कम करने और जंगलमहल में शांति बहाल करने के लिए बहुत प्रयास करने पड़े। जिसमें झाड़ग्राम, बांकुड़ा, पुरुलिया, पश्चिम मेदिनीपुर के वन क्षेत्र शामिल हैं। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे स्थानों पर गेस्ट हाउस और होटलों में लोगों को रखने के बारे में आवश्यक जानकारी एकत्र की जानी चाहिए। उन्होंने आगे जोर देकर कहा कि चुनाव के दौरान नकदी प्रवाह पर नजर रखना महत्वपूर्ण है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब इन क्षेत्रों में किसी ने कदम नहीं रखा, तो मैंने लालगढ़, नेताई, झारग्राम (एक विपक्षी नेता के रूप में) का दौरा किया। मैंने 11 से 12 साल तक देखा कि कैसे पूरे क्षेत्र को रक्तरंजित कर दिया गया। उन्होंने कहा कि अगर कोई भी उस जगह फिर से अशांति फैलाने की कोशिश करता है, जहां मैंने शांति स्थापित करने के लिए बहुत दर्द उठाया, तो लोग विरोध करेंगे।
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