21/09/2020,12:16:44 PM.
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कोलकाताहिंदी.कॉम
कोलकाताः संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा में रविवार को कृषि बिल को लेकर हुए हंगामे के बाद सोमवार को राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने आठ सांसदों को एक सप्ताह के लिए निलंबित कर दिया है। इन आठ सांसदों में तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन और डोला सेना भी शामिल हैं। तृणमूल कांग्रेस ने इस कार्रवाई पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
मालूम हो कि रविवार को राज्यसभा में कृषि विधेयक पेश किए गए थे। लेकिन इस विधेयक का विपक्ष ने विरोध किया। राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने सदन में विधयकों को पारित कराने के लिए प्रक्रिया को आगे बढ़ाया था जिसका तृणमूल कांग्रेस समेत सीपीएम व कांग्रेस ने कड़ा विरोध किया। इसे लेकर सदन में विपक्ष द्वारा व्यापक हंगामा किया गया। उपसभापति के बेल पर विपक्षी सांसद आ गए। यही नहीं, उनका माइक तोड़ दिया गया और बेल बुक को फाड़ दिया गया। सोशल मीडिया में आईं तस्वीरों में सदन की बेल में तृणमूल सांसद डेरेक ओ ब्रायन को भी चिल्लाते हुए देखा गया। हालांकि इस हंगामे के बीच भी दोनों कृषि विधेयक पारित हो गए।
सोमवार को राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने कार्यवाही की शुरुआत में ही एक दिन पहले हुए हंगामे और उपसभापति के साथ हुए दुर्व्यवहार पर कड़ी आपत्ति जताई और इसे सदन के मर्यादा के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा कि कल विपक्षी सांसदों के हंगामे के कारण उपसभापति हरिवंश को शारीरिक खतरा उत्पन्न हो गया था। उन्होंने हंगामे के मद्देनजर तृणमूल कांग्रेस सांसद डेरेक ओ ब्रायन व डोला समेत कांग्रेस के राजू सातव, रिपुन बोरा और सैयद नासिर, सीपीएम के केके रागेश व एलमारम करीम और आम आदमी पार्टी के संजय सिंह को एक सप्ताह के लिए निलंबित करने की घोषणा कर दी है।
लेकिन सोमवार को राज्यसभा के सभापति द्वारा आठ सांसदों के निलंबित करने के बाद भी सदन में हंगामा जारी रहा है। निलंबित सांसदों ने सदन से निकलने से मना कर दिया। हंगामे की वजह से सदन की कार्यवाही कई बार स्थगित की गई। अंत में इसे दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई।
बहरहाल अपने दो सांसदों को निलंबित किए जाने पर तृणमूल कांग्रेस ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। स्वयं तृणमूल सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ बताया है। उन्होंने एक ट्वीट में कहा कि कृषकों के हित की रक्षा के लिए लड़ रहे आठ सांसदों का निलंबन दुर्भाग्यशाली है। साथ ही यह निरंकुश सरकार की मानसिकता को दिखाता है जो लोकतांत्रिक नियमों और सिद्धांतों का सम्मान नहीं करती है। हम झुकेंगे नहीं और इस फासिस्ट सरकार से संसद और सड़क पर लड़ेंगे।
Suspension of the 8 MPs who fought to protect farmers interests is unfortunate & reflective of this autocratic Govt’s mindset that doesn’t respect democratic norms & principles. We won't bow down & we'll fight this fascist Govt in Parliament & on the streets.#BJPKilledDemocracy
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) September 21, 2020
वहीं निलंबित होने से पहले तृणमूल कांग्रेस सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने रविवार को सदन में हंगामे के बाद कहा था कि सरकार ने संसदीय लोकतंत्र की हत्या की है। विपक्षी सांसदों का यह अधिकार है कि वह किसी मुद्दे पर सदन में मत विभाजन की मांग करें। लेकिन ऐसा नहीं होने दिया गया। हम केवल सदन में चुप बैठने के लिए नहीं हैं।
Around 1pm on Sunday September 20, the government murdered parliamentary democracy. They broke every rule of #Parliament.
Did they hope that the opposition would just sit and watch?Here's a 9 min video. pic.twitter.com/HMZbFiSXpo
— Derek O'Brien | ডেরেক ও'ব্রায়েন (@derekobrienmp) September 20, 2020
इधर सोमवार को अपनी पार्टी के दो सांसदों समेत आठ विपक्षी सांसदों को निलंबित किए जाने पर राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस के सचेतक सुखेंदु शेखर राय ने कहा कि रविवार को राज्यसभा में जो हुआ, वह स्पष्ट रूप से संसदीय धारा का उल्लंघन है। वोट नहीं कराकर केवल ध्वनि मत से बिल पारित कराकर उसे कानून बनाया गया है। लोकतंत्र के मंदिर संसद में जो कुछ हुआ है, उसका पूरा देश निंदा करता है। वहीं तृणमूल कांग्रेस के लोकसभा में नेता सौगत राय ने कहा कि जिस तरह से कृषि बिल को पारित कराने के लिए सरकार ने काम किया है, वह गैर लोकतांत्रिक है। सांसदों के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन किया गया है।
बहरहाल मोदी सरकार ने तो संसद में कृषि विधेयकों को पारित करा लिया है लेकिन इसे लेकर देश के कई हिस्से खासकर पंजाब और हरियाणा में किसान आंदोलनरत हैं। वहां इसे लेकर राजनीति भी गर्म हो चुकी है। मालूम हो कि एनडीए की सहयोगी पार्टी अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर ने इसे मु्ददे पर केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा भी दे दिया है।
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