29/11/2020,10:49:41 AM.
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बंगाल में जीत पक्की करने के लिए राज्य को पांच जोन में बांटा
टिकट बंटवारे पर अंतिम निर्णय लेंगे भाजपा के शाह
कोलकात: बंगाल की सत्ता पर काबिज होने के लिए भाजपा पूरी तरह से तैयार है। बंगाल विधानसभा चुनाव की तैयारियों के मद्देनजर केंद्रीय भाजपा नेतृत्व एक-एक कदम फूंक-फूंककर आगे बढ़ा रहा है।
चुनाव में उम्मीदवारों के चयन को लेकर भाजपा ना केवल गंभीर है बल्कि बेहद सतर्कता भी बरत रही है। चुनाव में जीत सुनिश्चित करने के लिए उम्मीदवारी को भाजपा एक अहम कड़ी मानती है। यही कारण है कि प्रत्याशियों के चयन की जिम्मेवारी खुद केंद्रीय भाजपा ने अपने हाथों में ले रखी है।
भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने इसके लिए पांच केंद्रीय नेताओं को राज्य के सियासी मैदान में उतारा है। इन पांचों नेताओं की रिपोर्ट के आधार पर ही राज्य में टिकटों के बंटवारों पर केंद्रीय भाजपा नेतृत्व अंतिम निर्णय लेगा।
इस पूरी प्रकिर्या में भाजपा के चाणक्य माने जाने वाले व गृहमंत्री अमित शाह की अहम भूमिका होगी। बताते चले कि बीते लोकसभा चुनाव में उम्मीदवारों की सूची को अंतिम रूप देने में अमित शाह की महती भूमिका थी, जिसका सकारात्मक परिणाम लोकसभा चुनाव के नतीजों में देखने को भी मिला था। भाजपा ने राज्य के 18 लोकसभा सीटों पर शानदार जीत दर्ज की थी। इसके अलावा अधिकांश सीटों पर भाजपा ने क्लोज कॉन्टेस्ट भी किया था। इस बार बंगाल विधानसभा चुनाव में पार्टी इसी नियम के तहत अपनी सियासी सफर को राज्य की सत्ता के सिंहासन तक ले जाने में जुट गई है।
पार्टी में गुटबाजी पर भाजपा गंभीर
बंगाल फतह के अपने मिशन में भाजपा किसी प्रकार का कोई रोड़ा नहीं चाहती है। यही वजह है कि बंगाल भाजपा में गुटबाजी जैसी चीजों को भाजपा बेहद गंभीरता से ले रही है। इस प्रकार की समस्याओं से मुकाबले के लिए ही भाजपा की केंद्रीय इकाई ने राज्य को पांच जोनों में बांटा है और इसकी जिम्मेवारी केंद्रीय पांच नेताओं के हाथों में दी है। राज्य में टिकटों का बंटवारे का फैसला काफी हद तक इन पांचों नेताओं की रिपोर्ट पर निर्भर करेगा। वहीं इनकी सलाह पर प्रदेश भाजपा इकाई में परिवर्तन होने के आसार भी हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार आठ व नौ नवंबर को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा बंगाल में रहेंगे। सूत्रों के अनुसार इस दौरान वह पार्टी की प्रदेश इकाई के बदलाव समेत अन्य आवश्यक मसलों पर भी निर्णय लेंगे।
गुटबाजी पर अंकुश के लिए केंद्रीय नेता रखेंगे नजर
एेसा नहीं है कि राज्य में पार्टी में गुटबाजी को लेकर केंद्रीय भाजपा इकाई अनजान है। बल्कि भाजपा ने राज्य के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष और तृणमूल कांग्रेस से भाजपा में आए मुकुल राय के बीच आपसी गुटबाजी पर कई बार गौर करते हुए दोनों नेताओं को दिल्ली में बुलाकर सतर्क किया है। बावजूद इसका कोई सकारात्कम परिणाम भाजपा को दिख नहीं रहा है। दरअसल राज्य में भेजपा खेमे में पुरानी भाजपा बनाम नई भाजपा की तकरार है। राज्य में भाजपा की गुटबाजी पर निगरानी रखने के साथ ही इस पर काबू पाने के लिए ही भाजपा ने दूसरे राज्यों से केंद्रीय भाजपा नेताओं सुनील देवधर, दुष्यंत गौतम, विनोद तोउड़े, विनोद सोनकर एवं हरीश द्विवेदी को बंगाल की चुनावी मैदान में तैनात किया है।
राज्य के 42 लोकसभा सीटों को भाजपा ने अलग-अलग सांगठनिक जिला के तौर पर चिन्हित किया है। इसके आधार पर ही कुल पांच भागों में राज्य को बांटा गया है। पूर्व और पश्चिम मेदनीपुर, झाड़ग्राम, हावड़ा और हुगली को लेकर तैयार मेदनीपुर जोन की जिम्मेवारी सुनील द्विवेदी को दी गई है। कोलकाता, उत्तर और दक्षिण 24 परगना व दमदम लोकसभा को कोलकाता जोन बनाया गया है।इसकी जिम्मेवारी दुष्यंत गौतम को दी गई है। मुर्शिदाबाद, नदिया एवं उत्तर 24 परगना का बाकी हिस्से को लेकर बने नवद्विप जोन की जिम्मेवारी विनोद ताउड़े को दी गई है। पश्चिम व पूर्व बर्द्धमान, बांकुड़ा, पुरुलिया और वीरभूम जिले को लेकर राड़बंग जोन बनाया गया है, जिसका दायित्व विनोद सोनकर के पास है। वहीं पांचवे जोन के तहत उत्तर बंगाल के जिलों को शामिल किया गया है। इसकी जिम्मेवारी भजपा नेता हरीश द्विवेदी को दी गई है।
मिली खबरों के अनुसार इन जोनों में पहले चार जोनों के नेता बंगाल में आकर स्थियों को समीक्षा कर चुके हैं। इन्होंने अपनी रिपोर्ट भी अमित शाह को जमा कर दी है। हालांकि पांचवे जोन के लिए अधिकृत हरीश द्विवेदी अबतक बंगाल नहीं आए हैं। लेकिन उनके बदले भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने रिपोर्ट पार्टी की केंद्रीय इकाई को भेज दिया है।
राज्य के एक वरिष्ठ भाजपा नेता के अनुसार इस बार भाजपा बंगाल में सत्ता में आ सकती है। इसे देखते हुए चारों ओर से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने की एक प्रकार से होड़ जैसी स्थिति है। स्थिति यह है प्रत्येक सीटों पर पार्टी में एकाधिक उम्मीदवारी है। वहीं अन्य पार्टियों से भी दावेदार हैं। इस मामले में गौर करने के लिए एक तरफ जहां उम्मीदवारों की संगठनिक शक्ती आंकी जाएगी, वहीं स्थानीय क्षेत्रों की आवश्यकताओं और स्थितियों पर भी ध्यान दिया जाएगा। इससे भी अहम बात यह है कि पार्टी वैसे उम्मीदवारों पर जोर दे रही है जो चुनाव जिताने में सक्षम हों, ना कि जो पार्टी में पुराने कर्मी हैं। इन तमाम विषयों पर स्थानीय पांच जोन के नेताओं की रिपोर्ट के आधार पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। यही वजह है कि इन नेताओं को बंगाल के सियासी मैदान में भाजपा ने अपने सेनापति के रूप में उतारा है।
भाजपा नेता की माने तो इन पांचों नेताओं को अंतिम रिपोर्ट बनाने से पूर्व ना केवल जिला स्तर पर पार्टी पदाधिकारियों से बात करनी है बल्कि जमीनी स्तर पर भी समूचित जानकारी संग्रह करने की जिम्मेवारी दी गई है। दरअसल पार्टी की केंद्रीय इकाई, प्रदेश पार्टी इकाई की ओर से उपलब्ध चुनावी आंकड़ों के अलावा जमीनी स्तर पर भी पड़ताल कर रही है। इससे चुनाव पू्र्व पार्टी को किसी भी प्रकार की समस्याओं से निबटने में काफी मदद मिलेगी। इसकी वजह यह है कि कई बार प्रदेश इकाई के नेता छोटे मुद्दे पर गौर नहीं करते हैं, लेकिन भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को लगता है कि ये मुद्दे चुनावी जीत की राह में बड़े रोड़े बन सकते हैं। यही कारण है कि भाजपा के चाणक्य किसी प्रकार की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ना चाहते हैं।
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