16/12/2020,1:28:08 PM.
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नई दिल्ली: कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन बुधवार को 21वें दिन भी जारी है। लगातार बढ़ रही ठंड के बावजूद किसान अपनी मांगों पर अड़े हैं। वहीं संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से सरकार को एक पत्र भी लिखा गया है, जिसमें उनके आंदोलन को बदनाम नहीं करने की अपील की गई है। साथ ही कहा गया है कि अगर सरकार किसानों की बात सुनना चाहती है तो कुछेक संगठन के बजाय सभी से एकसाथ बात करे। किसानों के बीच भ्रम और फूट पैदा करने की कोशिश न की जाए।
कृषि मंत्रालय को भेजे पत्र में संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि सरकार की ओर से मिले प्रस्ताव को नकार दिया है। उनका कहना है कि सरकार ने जो संशोधन किया है, वह स्वीकार नहीं है। यह प्रस्ताव बीते पांच दिसम्बर को हुई बातचीत में मौखिक प्रस्तावों का ही लिखित प्रारूप है। जबकि किसानों की मांग इससे परे है। सरकार को इधर-उधर करने के बजाय हमारी मांगों पर चर्चा और विचार करना चाहिए।
पत्र में कहा गया है कि ‘किसान पहले ही अपनी बात कई दौर की हुई बातचीत में रख चुके हैं। हम चाहते हैं कि सरकार किसान आंदोलन को बदनाम करना बंद करे और दूसरे किसान संगठनों से समानांतर वार्ता बंद करे। बातचीत जब भी हो वो सभी संगठनों के साथ मिलकर हो।’ यह भी साफ किया गया है कि जब तक सरकार किसानों के बारे में नहीं सोचेगी आंदोलन जारी रहेगा, बल्कि उसे और तेज किया जाएगा।
दरअसल, बीते सोमवार को अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति से जुड़े दस संगठनों ने कृषि मंत्री नरेन्द्र तोमर से मुलाकात कर कृषि कानून पर अपना समर्थन दिया था। उन्होंने केंद्र सरकार के नये कृषि कानून को किसानों के हित में भी बताया था। इसी बात को लेकर अन्य किसान संगठन नाराज हैं और पत्र लिखकर कुछ संगठनों से बातचीत नहीं करने को कहा है। वहीं आंदोलनकारी किसानों ने एकबार फिर दिल्ली-नोएडा बॉर्डर को ब्लॉक कर दिया है।
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