21/09/2020,5:30:20 PM.
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कोलकाताहिंदी.कॉम
कोलकाताः कृषि से जुड़े दो विधयकों को केंद्र की मोदी सरकार ने संसद के दोनों सदनों से पारित करा लिया है लेकिन अब कृषि बिल को लेकर संसद से लेकर सड़कों पर गुस्सा फूट पड़ा है। विपक्षी पार्टियों से लेकर किसान संगठनों तक कृषि बिल को किसानों के लिए भारी नुकसानदायक बता रहे हैं। वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्यसभा में कृषि बिल पर वोटिंग के अधिकार नहीं दिये जाने पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
कृषि बिल के संसद में पारित होने के बाद सोमवार को सुबह से आंदोलनों का सिलसिला जारी है। जहां संसद में आठ विपक्षी सांसदों को निलंबित करने के बाद विभिन्न पार्टियों के सांसदों ने संसद परिसर की गांधी मूर्ति के पास धरना दिया, वहीं सड़कों पर राजनीतिक पार्टियों से लेकर किसान संगठन उतर आए हैं। कई जगहों पर सड़कों को किसानों ने जाम कर दिया है। वे कृषि बिल को लेकर कड़ा विरोध दर्ज करा रहे हैं।
वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि संसदीय नियमों के तहत मतविभाजन की मांग की गई थी लेकिन भाजपा ने बहुमत का अभाव देखते हुए जबरदस्ती हिंसक रूप में बिल को पास कराया है। केंद्र ने राज्य सरकारों से किसानों के लिए मूल्य तय करने का अधिकारी छीन लिया है जिससे खाद्य महामारी पैदा होगी।
ममता ने कोलकाता में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सदन में मतविभाजन के नियम को लागू किया जाना चाहिए। रूल बुक यही कहती है। लेकिन बलप्रयोग कर उन्होंने किसानों के अधिकारों पर बुलडोजर चला दिया है। ममता ने यह भी कहा कि अभी एक महामारी फैली हुई है जिसे वे रोक नहीं सके हैं। अब वे खाद्य महामारी पैदा कर रहे हैं। उनके पास बहुमत है, इसका मतलब यह नहीं है कि वे जाे चाहे कर सकते हैं। उनके पास बहुमत है, इसका मतलब यह नहीं है कि वे जोर-जबरदस्ती देश को बेच सकते हैं। ममता ने यह भी कहा कि सरकार अभी तक विफल रही है और 1943 का संकट पैदा कर रही है। हमारे सांसद लोकसभा और राज्यसभा में अपने होंठ बंद कर नहीं रख सकते हैं।
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