12/10/2020,11:28:10 AM.
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कोलकाताः दक्षिण 24 परगना जिले में स्थित एवं वर्ल्ड हेरिटेज के रूप में संरक्षित सुंदरवन में बच्चों की मौत से संबंधित चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। पता चला है कि पिछले कई वर्षों से हर रोज कम से कम 3 बच्चे सुंदरबन के इलाकों में डूबने से मर जाते हैं। यहां हर दिन एक से नौ साल के लगभग तीन बच्चों की डूबने से मौत हो जाती है।एक सर्वेक्षण में यह खुलासा किया गया है।
जॉर्ज इंस्टीट्यूट द्वारा जून से सितंबर 2019 में चाइल्ड इन नीड इंस्टीट्यूट (सीआईएनआई) के सहयोग से ये संयुक्त सर्वेक्षण किया गया था। ‘सुंदरवन में बाल मृत्यु दर का निर्धारण शीर्षक से किए गए इस सर्वेक्षण का उद्देश्य मुख्य रूप से एक से चार वर्ष और पांच से नौ वर्ष की आयु के बच्चों की डूबने से हुई मृत्यु दर को निर्धारित करना था। निष्कर्षों से पता चला कि क्षेत्र में एक से चार वर्ष की आयु के बच्चों में डूबने से मृत्युदर प्रति 1,00,000 बच्चों में 243.8 थी, जबकि पांच से नौ वर्ष की आयु में यह 38.8 थी। वहीं 58 फीसदी मामलों में बच्चों की उम्र एक से दो साल थी।
सर्वेक्षण में कहा गया कि डूबने से हुई मौतों की दर में लड़के और लड़कियों के बीच कोई अंतर नहीं दिखा। एक चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि ज्यादातर बच्चे अपने घर के 50 मीटर के दायरे में ही तालाब में डूब गए। ये बच्चे उस समय तालाब में डूबे जबकि घर में मौजूद परिजन दूसरे घरेलू कामों में व्यस्त थे। बता दें कि सुंदरबन डेल्टा एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है, जो राज्य के उत्तर 24 परगना और दक्षिण 24 परगना जिलों में फैला हुआ है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के आंकड़ों में कहा गया है कि 2016 में वैश्विक रूप से डूबे 3,60,000 लोगों में से 50 प्रतिशत से अधिक 15 वर्ष से कम आयु के बच्चे थे।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार मध्यम आय वाले देशों में 90 प्रतिशत से अधिक डूबने की घटनाएं होती हैं। भारत का हर साल अनुमानित 60,000 मौतों के साथ इसमें 19 फीसदी का आंकड़ा है। सुंदरबन क्षेत्र में हर रोज तीन बच्चों की मौत से संबंधित सवाल के जवाब में सुंदरबन विकास मामलों के मंत्री मंटूराम पाखीरा से जब संपर्क किया गया, तो उन्होंने कहा कि ऐसा कोई डाटा उनके विभाग के पास मौजूद नहीं है। हालांकि, उन्होंने कहा कि इस मामले को देखेंगे और समस्या के समाधान के लिए जरूरी कदम उठाएंगे।
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