कोलकाता में बोले मोदी- सोनार बांग्ला की प्रेरणा भी नेताजी से मिली

23/01/2021,10:21:18 PM.

नई दिल्ली (एजेंसी)। विक्टोरिया मेमोरियल में पराक्रम दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत की प्रेरणा नेताजी के पराक्रम और पुरुषार्थ से ही मिली है। उन्होंने कहा, “आज कोलकाता में आना मेरे लिए बहुत भावुक कर देने वाला क्षण है। बचपन से जब भी ये नाम सुना- नेताजी सुभाष चंद्र बोस, मैं किसी भी परिस्थिति में रहा हूं, ये नाम कान में पड़ते ही मैं एक नई ऊर्जा से भर गया। इतना विराट व्यक्तित्व है उनका। मैं नेता जी की 125वीं जयंती पर कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से उन्हें नमन करता हूं।

मैं आज बालक सुभाष को नेताजी बनाने वाली, उनके जीवन को तप, त्याग और तितिक्षा से गढ़ने वाली बंगाल की इस पुण्यभूमि को भी नमन करता हूं। आज के ही दिन मां भारती की गोद में उस वीर सपूत ने जन्म लिया था, जिसने आजाद भारत के सपने को नई दिशा दी थी। आज के ही दिन ग़ुलामी के अंधेरे में वो चेतना फूटी थी, जिसने दुनिया की सबसे बड़ी सत्ता के सामने खड़े होकर कहा था, मैं तुमसे आजादी मांगूंगा नहीं, छीन लूंगा। मैंने अनुभव किया है कि नेताजी का नाम सुनते ही हर कोई ऊर्जा से भर जाता है। नेताजी के जीवन की ऊर्जा जैसे उनके अंतर्मन से जुड़ गयी है। उनकी ऊर्जा, आदर्श, तपस्या और त्याग देश के हर युवा के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है।

उन्होंने कहा आज जब भारत नेताजी की प्रेरणा से आगे बढ़ रहा है तो हम सभी का कर्तव्य है कि उनके योगदान को पीढ़ी दर पीढ़ी याद किया जाए। इसलिए देश ने ये तय किया है कि अब हर वर्ष हम नेताजी की जयंती यानी 23 जनवरी को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाया करेंगे। आज जब इस वर्ष देश अपनी आजादी के 75 वर्ष में प्रवेश करने वाला है, जब देश आत्मनिर्भर भारत के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है, तब नेताजी का जीवन, उनका हर कार्य, उनका हर फैसला, हम सभी के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है। उनके जैसे फौलादी इरादों वाले व्यक्तित्व के लिए असंभव कुछ भी नहीं था। उन्होंने विदेश में जाकर देश से बाहर रहने वाले भारतीयों की चेतना को झकझोरा। उन्होंने पूरे देश से हर जाति, पंथ, हर क्षेत्र के लोगों को देश का सैनिक बनाया।”

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इशारे-इशारे में पाकिस्तान से लेकर चीन तक भारत की मजबूती का जिक्र किया। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि बंगाल को सोनार बांग्ला बनाने की प्रेरणा भी उन्हें नेताजी सुभाष चंद्र बोस से ही मिली है। उन्होंने कहा, आज हर भारतीय अपने दिल पर हाथ रखे, नेताजी सुभाष को महसूस करे, तो उसे फिर ये सवाल सुनाई देगा- क्या मेरा एक काम कर सकते हो? ये काम, ये काज, ये लक्ष्य आज भारत को आत्मनिर्भर बनाने का है। देश का जन-जन, देश का हर क्षेत्र, देश का हर व्यक्ति इससे जुड़ा है। मुझे संतोष है कि आज देश पीड़ित, शोषित वंचित को, अपने किसान को, देश की महिलाओं को सशक्त करने के लिए दिन-रात एक कर रहा है। आज हर एक गरीब को मुफ्त इलाज की सुविधा के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं मिल रहीं हैं। हिन्दुस्तान का एक-एक व्यक्ति नेताजी का ऋणी है। 130 करोड़ से ज्यादा भारतीयों के शरीर में बहती रक्त की एक-एक बूंद नेताजी सुभाष की ऋणी है।

नेताजी ने कहा था कि आजाद भारत के सपने में कभी भरोसा मत खोइए। दुनिया में ऐसी कोई ताकत नहीं है जो भारत को बांधकर रख सके। वाकई दुनिया में ऐसी कोई ताकत नहीं है जो 130 करोड़ देशवसियों को अपने भारत को आत्मनिर्भर भारत बनाने से रोक सके। नेताजी जिस भी स्वरूप में हमें देख रहे हैं, हमें आशीर्वाद दे रहे हैं। जिस भारत की उन्होंने कल्पना की थी, एलएसी से लेकर एलओसी तक, भारत का यही अवतार दुनिया देख रही है। जहां कहीं से भी भारत की संप्रुता को चुनौती देने की कोशिश की गई, भारत उसका मुंहतोड़ जवाब दे रहा है। नेताजी, आत्मनिर्भर भारत के सपने के साथ ही सोनार बांग्ला की भी सबसे बड़ी प्रेरणा हैं। जो भूमिका नेताजी ने देश की आजादी में निभाई थी, वही भूमिका पश्चिम बंगाल को आत्मनिर्भर भारत में निभानी है।”

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