भारत-चीन सीमा का मामला कहां तक हल होगा, गारंटी नहीं दे सकताः राजनाथ

17/07/2020,12:59:16 PM.

कोलकाताहिंदी.कॉम
कोलकाताः ऐसे समय में जब भारत-चीन सीमा पर दो महीने तक चले तनाव की बर्फ पिघल रही है, भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज सुबह लद्दाख के सीमावर्ती इलाकों का दौरा किया। उन्होंने वहां लुकुंग चौकी पर जाकर भारतीय सेना के जांबाज जवानों एवं अधिकारियों को संबोधित भी किया। उन्होंने कहा कि भारत अपनी सीमा और संप्रभुता की रक्षा के लिए दृढ़ संकल्प है और अपनी एक जमीन भी किसी के हाथ नहीं जाने देगा। हालांकि उन्होंने एलएसी मामले के हल होने को लेकर एक अनिश्चिता का संकेत दिया है।
उन्होंने कहा कि जो कुछ भी अब तक बातचीत की प्रगति हुई है, उससे मामला हल होना चाहिए। कहां तक हल होगा इसकी गारंटी नहीं दे सकता। लेकिन इतना यकीन मैं जरूर दिलाना चाहता हूं कि भारत की एक इंच ज़मीन भी दुनिया की कोई ताक़त छू नहीं सकती, उस पर कोई कब्जा नहीं कर सकता। साथ ही उन्होंने जोड़ा कि हम अशांति नहीं चाहते, हम शांति चाहते हैं। हमारा चरित्र रहा है कि हमने किसी भी देश के स्वाभिमान पर चोट मारने की कभी कोशिश नहीं की है।भारत के स्वाभिमान पर यदि चोट पहुंचाने की कोशिश की गई तो हम किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेंगे और मुंहतोड़ जवाब देंगे।

उन्होंने चीन को संदेश देते हुए कहा कि भारत दुनिया का इकलौता देश है जिसने सारे विश्व को शांति का संदेश दिया है। हमने किसी भी देश पर कभी आक्रमण नहीं किया है और न ही किसी देश की जमीन पर हमने कब्जा किया है। भारत ने वसुधैव कुटुम्बकम का संदेश दिया है। रक्षा मंत्री ने कहा कि भारतीय सेना के ऊपर हमें नाज़ है। मैं जवानों के बीच आकर गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ। हमारे जवानों ने शहादत दी है। इसका गम 130 करोड़ भारतवासियों को भी है। भारत का नेतृत्व सशक्त है। हमें नरेंद्र मोदी जैसा प्रधानमंत्री मिला है। फैसला लेने वाला प्रधानमंत्री मिला है।

गौरतलब है कि पिछले दिनों जब तनाव चरम पर था तो अचानक से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लद्दाख पहुंच गये थे और उन्होंने वहां से चीन को कड़ा संदेश दिया था। जिस दिन प्रधानमंत्री लद्दाख जाने वाले थे उसी दिन रक्षा राजनाथ सिंह को वहां जाना था लेकिन उनका कार्यक्रम एक दिन पहले रद्द करने की घोषणा कर दी गई थी। लेकिन अचानक से पीएम मोदी लद्दाख पहुंच गये थे। प्रधानमंत्री के सीमा पर जाकर चीन को कड़ा संदेश देने और उसके बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकर अजीत डोभाल के चीन के विदेश मंत्री से बातचीत के बाद चीनी सेना सीमा से पीछे हटने को तैयार हुई जो अभी जारी है।

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