राजीव कुमार मामले में दिलीप घोष ने कहा, सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर रहेगी नजर

27/12/2020,11:21:14 AM.

 

कोलकाताः अरबों रुपये के सारदा चिटफंड घोटाले में साक्ष्यों को मिटाने के आरोपित कोलकाता पुलिस के पूर्व कमिश्नर राजीव कुमार पर एकबार फिर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की नजर है। जांच एजेंसी ने शनिवार को ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर राजीव कुमार को हिरासत में लेने की अर्जी लगाई है।

इस संबंध में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि राजीव कुमार के साथ क्या होगा, यह सुप्रीम कोर्ट तय करेगा। न्यायालय के निर्देश पर नजर टिकी हुई है। उन्होंने कहा कि राजीव कुमार के अलावा इस मामले में कई बड़े नाम हैं जिन्हें दंडित किए जाने की जरूरत है। उनका इशारा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ओर था।

इसके अलावा तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता व चिटफंड मामले के एक और आरोपी कुणाल घोष ने वर्तमान भाजपा नेता मुकुल रॉय को हिरासत में लेने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि चिटफंड के पैसे की लेनदेन में मुकुल की भूमिका बड़ी है। इसलिए उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए।

इस बारे में भी रविवार को दिलीप घोष ने कहा कि चिटफंड घोटाले में जो लोग संलिप्त हैं उनसे निश्चित तौर पर जांच एजेंसी पूछताछ करेगी। वे किस पार्टी के हैं, यह मायने नहीं रखता।

दरअसल, शनिवार को सीबीआई ने 277 पन्नों का आवेदन पत्र सुप्रीम कोर्ट में सौंपा है। इसमें सारदा समूह के मालिक सुदीप्त सेन की महिला सहयोगी देबजानी मुखर्जी, तृणमूल कांग्रेस के पूर्व राज्यसभा सांसद और वर्तमान प्रवक्ता कुणाल घोष समेत कई अन्य गवाहों के बयान हैं।

देवयानी ने सीबीआई को बताया है कि बंगाल सरकार ने 2013 में चिटफंड की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया था, जिसके मुखिया बिधाननगर के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार थे। इन्हीं लोगों ने सुदीप्त सेन और देवयानी को गिरफ्तार किया था। दोनों को कश्मीर से पकड़ा गया था। देवयानी ने बताया है कि उनके पास एक लाल डायरी थी, जिसमें सत्तारूढ़ पार्टी यानी तृणमूल कांग्रेस के उन नेताओं का नाम लिखा गया था जिन्हें बड़ी धनराशि चिटफंड समूह की ओर से दी गई थी। उस डायरी को राजीव ने अभीतक सीबीआई को नहीं सौंपा है। आरोप है कि उन्होंने नेताओं को बचाने के लिए डायरी को नष्ट कर दिया है।

इसके अलावा देवयानी ने बताया है कि गिरफ्तारी के बाद पुलिस उन्हें लेकर मिडलैंड स्थित जांच एजेंसी के दफ्तर में 23 दिनों तक लगातार छापेमारी की थी और करीब दो ट्रक दस्तावेज बरामद किए थे। इसमें एक लैपटॉप और कैश बुक भी था, जिसमें चिटफंड कंपनी से लाभ लेने वालों की सूची थी। वह भी सीबीआई के हाथ नहीं लगी है। सीबीआई का कहना है कि जांच टीम के मुखिया होने के नाते राजीव कुमार अपने दायित्वों से नहीं बच सकते इसलिए उन्हें हिरासत में लिए जाने की जरूरत है।

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