25/11/2020,11:52:42 PM.
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प्रबंध संपादक की बात
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डिजिटलीकरण के दौर में पत्र-पत्रिकाएं संकट से गुजर रही हैं। अपना अस्तित्व बनाए रखना एक बड़ी चुनौती बन गई है। पिछले कुछ सालों में यह संकट और गंभीर होता दिख रहा था कि कोरोना महामारी ने और विकट स्थिति पैदा कर दी है। ऐसे में एक पत्रिका निकालने के बारे में सोचना और फिर फैसला लेकर उस पर लग जाना, किसी संकट को ही आमंत्रण देना था। लेकिन चुनौती कितनी भी बड़ी क्यों ना हो, समस्याएं कितनी भी विकराल क्यों हों, जब निश्चिय दृढ़ हो तो लक्ष्य की प्राप्ति के मार्ग पर चलना आसान हो जाता है। और, इस दृढ़ निश्चिय का ही प्रतिफल है कि यह पत्रिका आज आपके हाथों में है।
दरअसल इस सपने का साकार होना कोई आज की सोच नहीं है। पिछले दो दशकों से विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में काम करने के दौरान यह विचार मस्तिष्क में यदाकदा आता रहा कि एक पत्रिका निकालनी है। पिछले कुछ सालों में कोलकाता में रहने के दौरान यह विचार था कि पूरे बंगाल को केंद्र कर पत्रिका निकालनी है। लेकिन आसनसोल-दुर्गापुर शिल्पांचल और दक्षिण बंगाल के विषयों को समाहित करते हुए और इन क्षेत्रों के रचनाकारों को लेकर पत्रिका निकालने का विचार बिल्कुल नया है। एक रात यह ख्याल आया कि जो बातें मैं कोलकाता और पूरे बंगाल को लेकर सोच रहा हूं, क्यों ना इस सिर्फ इस अंचल को लेकर यह प्रयोग किया जाए। इस विचार के बोध के साथ ही इस प्रयोग को सफल करने के काम में दूसरे दिन से ही लग गया। और, आज न्यूज प्रहर पत्रिका आपके सामने है। हमारी कोशिश थी कि इसमें हमारे अंचल के स्थापित रचनाकारों के साथ ही नए रचनाकारों को भी जगह मिले।
न्यूज प्रहर पत्रिका का यह प्रवेशांक है। बहुत कम समय की योजना में निकली इस पत्रिका में निश्चित रूप से कई कमियां हैं। विषयों का अभाव है। लेकिन हम अगला अंक अधिक योजनाबद्ध और सुगठित रूप में लेकर आएंगे। अभी यह विचारित नहीं है कि हम इसे त्रैमासिक या वार्षिक समयावधि पर निकालेंगे। लेकिन जल्द ही इस संबंध में ठोस निर्णय लेंगे और आपको सूचित भी किया जाएगा।
पत्रिका में जिन रचनाकारों ने रचनाएं दी हैं, उनके प्रति हम विनयपूर्ण आभार प्रकट करते हैं। पत्रिका के संपादन में सहयोग देने के लिए विजयशंकर विकुज और मार्गदर्शन और उत्साहवर्धन करने के लिए सभी वरिष्ठ मित्रों का भी आभार।
नरेंद्र कुमार सिंह
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