02/12/2020,6:31:45 PM.
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कोलकाताः अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले भारतीय जनता पार्टी की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष ने बुधवार को बंगाली और गैर बंगाली पर एक बयान देकर एक विवाद को जन्म दे दिया है।
हाल ही में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी एवं उनके नेताओं ने भी बाहरी लोगों को लेकर बयानबाजी की है। तृणमूल अगले चुनाव में बंगाली अस्मिता का सवाल खड़ा कर रही है जिससे बाहरी का मुद्दा छेड़ा गया है। इसके जवाब में ही दिलीप घोष ने कोलकाता में हिंदीभाषियों के इलाके में चाय पर चर्चा के दौरान कहा है कि ब्रिटिश शासन काल में अधिकतर लोग रोजगार के लिए बंगाल आए थे। गंगा नदी के किनारे पर स्थित जूट मिलों में अधिकतर बाहर के लोग ही काम करते थे जिससे बंगाल का विकास हुआ है। इस लिए बंगालियों की तुलना में गैर बंगाली लोगों की इसमें अधिक भूमिका रही है।
दरअसल, आगामी विधानसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी सहित भाजपा के अधिकांश नेता बंगाल फतेह की कोशिश में जुटे हैं। इसके मद्देनजर यह सभी बंगाल में रहने वाले गैर बंगाली निवासियों के मन को मोहने की हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। इसी उद्देश्य से हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने दुर्गा पूजा में धोती पंजाबी पहनकर यानी बंगाली वेष में दुर्गा प्रतिमा का उद्घाटन किया था। दूसरी ओर केंद्र के भाजपा मंत्रियों को बांग्ला भाषा में ट्वीट करते देखा जा रहा है। यह बंगालियों के मन को मोहने के प्रयासों का हिस्सा है। बुधवार को दिलीप घोष के बंगाली एवं गैर बंगालीवासियों को लेकर दिए बयान से राजनीतिक हलचल बढ़ गई है (फाइल फोटो)।
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