25/08/2020,4:55:56 PM.
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कोलकाताहिंदी.कॉम
कोलकाताः साल 2016 की नोटबंदी के बाद जिस धमाकेदार तरीके से 2000 रुपये के नोट की छपाई कर प्रचलन में लाया गया है, अब वह नोट धीरे-धीरे बाजार से गायब होता जा रहा है। देश में कुल प्रचलन में मौजूद नोटों में इस नोट का हिस्सा गिरकर बहुत कम हो गया है।
हिंदुस्तान टाइम्स की वेबसाइट की खबर के मुताबिक आरबीआई द्वारा एक रिपोर्ट में बताया गया कि वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान 2000 रुपये के नोट की एक भी छपाई नहीं हुई। रिजर्व बैंक की प्रिटिंग प्रेस ने इस नोट का ऑर्डर नहीं मिलने की वजह से छपाई नहीं की। 2000 नोट की छपाई नहीं होने से प्रचलन में कुल नोटों में इसका हिस्सा 2019-20 में मात्र 22 फीसदी रह गया है, जबकि 2016-17 में इसका हिस्सा 50 फीसदी तक था। दरअसल सरकार की यह रणनीति का हिस्सा है कि 2000 नोट को प्रचलन में कम लाया जाए। मालूम हो कि 2019 के जनवरी माह में सरकार ने कहा कि 2000 नोटों की आपूर्ति पर्याप्त है, इसलिए अब इसकी छपाई नहीं की जाएगी।
मालूम हो कि 8 नवंबर 2016 की आधी रात से लागू की गई नोटबंदी की वजह से उस समय प्रचलन में मौजूद 500 रुपये और 1000 रुपये के नोट हटा लिया गया था। लेकिन तब बाजार में प्रचलन में मौजूद कुल नोटों के ये 86 फीसदी हिस्सा थे। सरकार ने अपने इस निर्णय को कालेधन से लड़ाई को जोड़ कर दिखाया था। लेकिन इन नोटों को अचानक से हटा लेने से आम लोगों को महीनों तक भारी परेशानी हुई थी। यहां तक कि इसका प्रभाव देश अर्थव्यवस्था पर भी दिखा और जीडीपी में गिरावट दर्ज की गई। नोटबंदी की वजह से रियल इस्टेट, वाहन उद्योग से लेकर तमाम उद्योगों का उत्पादन गिर गया था।
बहरहाल आरबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक 2017-18 में 2000 रुपये के 3 अरब 36 करोड़ नोट लिए गए थे। अगले साल यह घटकर 3 अरब 29 करोड़ हो गए। उसके अगले साल यानी 2019-20 में यह गिर कर दो अरब 73 करोड़ अदद हो गए। मांग कम होने से इसकी छपाई भी कम होती गई। मालूम हो कि आरबीआई ने 2016-17 में 2000 रुपये के कुल 3 अरब 50 करोड़ नोट छापे थे। लेकिन यह छपाई साल दर साल कम होती गई।
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